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बस्ती में आस्था का केंद्र है ऐतिहासिक मरही माता मंदिर


मरही माता के दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना

Marahi Mata Mandir Ailiya Basti || उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बहादुरपुर विकास क्षेत्र अंतर्गत पैराणिक महत्व को अपने आंचल में समेटे मनोरमा नदी के तट पर ऐलिया गांव में स्थित मरही माता मंदिर की ख्याति चारो तरफ फैली हुई है। श्रद्धलुओं का मानना ही कि मरही माता मंदिर पर दर्शन मात्र से मन को शांति मिलती है और श्रद्धालुओं के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मंदिर से स्थानीय लोगों के साथ ही दूरदराज के लोगों की भी आस्था जुड़ी हुई है। बस्ती ही नहीं अपितु अन्य जनपदों से भी श्रद्धालु इस मंदिर पर दर्शन के लिए आते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नवरात्रि के दिनों में यहां मेले जैसा दृश्य होता है। इसके साथ ही प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु मरही माता मन्दिर पर पहुंचते हैं और पूजन अर्चन कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

बस्ती जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर पर पहुंचने के लिए मुख्यालय से सरकारी बस व प्राइवेट टेक्सी के द्वारा लुम्बिनी दुद्धी मार्ग पर कुसौरा बाजार पहुंचना होगा। कुसौरा बाजार से प्राइवेट टेक्सी द्वारा बहादुरपुर विकास क्षेत्र के सोंधिया घाट तक करीब 8 किलोमीटर जाना होगा। जहां से 1 किलोमीटर पर पूरव ऐलिया गांव में मनोरमा नदी के तट पर मरही माता मंदिर स्थित है।


मरही माता मंदिर ऐलिया का इतिहास


मरही माता मंदिर की पौराणिकता परिसर में लगा काफी पुराना पीपल का पेड़ बयां करता है। मरही माता मंदिर के पुजारी महन्थ मायाराम ओझा बताते हैं कि इस स्थान पर कभी घाना जंगल हुआ करता था। इस रास्ते से रात में कौन कहे दिन में भी किसी का साहस नहीं होता था कि यहां इस रास्ते से कोई गुजर जाए। एक दिन बालक कोइरी नामक व्यक्ति को सपने में माँ नें बताया कि मैं मरही माता हूँ मेरा स्थान इस घने जंगल में है जो व्यक्ति जंगल साफकर मेरी पूजा करगा तो उसका भला होगा। बालक कोइरी नें जंगल साफ कर मिट्टी की पिंडी बनाकर पूजा करना शुरू कर दिया। बाद में जिस जिस का भला होता गया उनके सहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ। समय बीता और ऐलिया गांव के पुजारी राजाराम ओझा मंदिर पर माता मरही मंदिर पर मां की सेवा भाव करना शुरू किए। उनके ब्रह्मलीन होनें के बाद पुजारी दयाराम ओझा ने माता मरही मंदिर पर सेवा भाव का कार्य शुरू किया। जिन्होंने प्रयास कर भव्य मंदिर, यज्ञशाला व धर्मशाले का निर्माण करवाया। माता मरही मंदिर की ख्याति चहुओर फली तो बस्ती सांसद हरीश द्विवेदी के प्रयास से इस मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में घोषित किया गया। जिसके बाद मंदिर परिसर का सुन्दरीकरण, बाउंड्री, गेट आदि का निर्माण कार्य हुआ। अब मरही माता मंदिर और भव्य हो गया ख्यति फैली तो अब इस मंदिर पर विभिन्न जनपदों से लोग दर्शन के लिए आना शुरू कर दिए।


क्या कहते हैं मंदिर पुजारी



मंदिर पुजारी मायाराम ओझा बताते हैं कि बचपन से ही माता मरही मंदिर पर मां की सेवा कर रहा हूँ। नवरात्रि के दिनों के साथ ही प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को इस मंदिर पर मेले जैसा दृश्य होता है। शासन की पहल पर मरही माता मंदिर को अब पर्यटक स्थल के रूप में घोषित किया गया। पर्यटक स्थल का दर्जा मिलने के बाद इस पर मंदिर का सुन्दरीकरण, बाउंड्री व गेट आदि का कार्य हुआ। अब बस्ती जिले के साथ ही अन्य जनपदों से भी माँ का दर्शन प्राप्त करने श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां की कृपा से उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।

क्या कहते हैं स्थानीय श्रद्धालु



स्थानीय समाजसेवी व श्रद्धालु प्रमोद पाण्डेय बताते हैं कि जब भी कोई कष्ट आता है तो कुल देवी माता मरही मंदिर पर पहुंच मां को याद करता हूं और सारे कष्ट पल भर में मां दूर कर देती हैं। माता मरही की आराधना के लिए बचपन से ही मंदिर पर आता हूँ। मंदिर पर पहुंच माता मरही के दर्शन मात्र से मन को बड़ी शांति मिलती है। काफी प्रयास किया गया जिससे आज मरही माता मंदिर अब एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हुआ जिसे लेकर हम सभी को गर्व है। अब मंदिर पर बड़ी संख्या में दूरदराज से भी लोग पहुंचते हैं और माता उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं।