● शिक्षामित्रों का सम्मान वापस कर बने सच्चे हम दर्द
Shiksha Mitra News Lucknow || उत्तर प्रदेश विधान सभा सत्र के दौरान विधायक समर पाल सिंह नौगवां सादात अमरोहा ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में सन 2000 से कार्यरत 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को इस महंगाई के दौर में मात्र 10 हजार रूपये मानदेय मिलने की समस्या को उठाया। विधायक ने सदन को बताया कि मंत्री जी के कुत्ते का माह का खर्च 30 हजार रूपये है तो इस महंगाई के दौर में शिक्षामित्र अपने परिवार की परवरिश कैसे कर पाता होगा। विधायक ने सरकार से सदन के माध्यम से आग्रह किया कि शिक्षामित्रो की समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्हें कम से कम 1 हजार रूपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जाय।
विधायक के प्रश्न पर सदन में उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने जवाब देने से पहले शिक्षामित्रों से झूठी हमदर्दी दिखाते हुए विधायक द्वारा दिए गए उदाहरण की निंदा किया। जबकि विधायक द्वारा शिक्षामित्रों की मार्मिक समस्या रखे जाने के दौरान सदन में सभी शिक्षामित्रों की मार्मिक समस्या पर हँसते हुए मज़ाक़ उड़ा रहे थे। बेसिक शिक्षा मंत्री ने मानदेय बढ़ाने की बात को नकारते हुए पहले से और वर्षों से रटा-रटाया वाक्य दोहराया कि हमने शिक्षामित्रों का मानदेय 35 सौ से 10 हजार कर दिया। जबकि मंत्री जी को सच बात कहनी चाहिए कि सरकार ने शिक्षामित्रों का वेतन 40 हजार से घटाकर 10 हजार कर दिया है।
आपको बता दें कि शिक्षामित्रों को दो चरण 2013 व 2014 में बीटीसी प्रशिक्षण कराकर स्नातक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया। उन्हें लगभग 3 वर्षो तक वेतन भी दिया गया। समायोजन के दौरान जो शिक्षामित्र इंटर पास थे और (प्राइवेट स्नातक की डिग्री हेतु ) खंड शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेकर स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उन्हें बीटीसी प्रशिक्षण नहीं दिलाया जा सका था उन्हें सरकार द्वारा 10 हजार मानदेय देने का आदेश दिया था। परन्तु न्यायालय द्वारा 2017 में समायोजन निरस्त हो जाने पर सभी शिक्षामित्रों को सरकार ने 10 हजार मानदेय निश्चित कर दिया। तब से लेकर आज तक सरकार द्वारा शिक्षामित्रों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है।
आदर्श समायोजित शिक्षक शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी राघवेंद्र उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश सरकार से मानवीयता के आधार पर आज की इस चरम पर पहुंच चुकी महंगाई को ध्यान में रखकर नैतिकता के आधार पर अगर सच में उन्हें हम शिक्षामित्रों से हमदर्दी है तो सरकार हमारा सम्मान पुनः वापिस करते हुए हमें सहायक अध्यापक पद पर बहाल करे और जब तक समायोजन न हो तब तक हमें सम्मान जनक मानदेय दिया जाय। शिक्षामित्रों से अपील किया कि हम शिक्षामित्रों की समस्या सरकार द्वारा हल न किये जाने तक आंदोलन हेतु कमर कस कर तैयार रहें और प्रदेश संगठन के आह्वान पर 5 सितंबर को अभी से सभी भाई बहन अपनी अपनी तैयारी में जुट जाएं ये अन्तिम संघर्ष मानकर तन मन धन से लग जाएं।